Hindi Kahaniya
यह एक समय की बात है | एक बार पत्थर पर काम करने वाला एक मूर्तिकार था | वो अपने काम में बहुत ही माहिर था | वह पत्थरो से अलग-अलग प्रकार की मुर्तिया और चीजे बनाता था | उसके काम की वजह से एक परी उससे बहुत खुश थी और हमेशा उसके साथ रहती थी | लेकिन यह बात उस मूर्तिकार को पता ही नहीं थी | एक दिन जब वह अपने घर के बाहर बैठकर पत्थर को तराश रहा था तब वहा से एक सेठजी गुजर रहे थे | सेठजी के आव भाव देखकर मूर्तिकार सोचता है की काश में भी एक सेठ होता | तो लोग मेरे आस-पास भी घूमते | मूर्तिकार की यह बात परी सुन लेती है | परी अपने जादू की छड़ी घूमती है और मूर्तिकार भी शेठ बन जाता है |
अपने आप की सेठ बना देखकर मूर्तिकार बहुत खुश होता है | और वह गांव में घूमने के लिए निकल जाता है | गांव में जाकर उसने देखा की एक आदमी को सब लोग बहुत सन्मान दे रहे है | उसने एक लडके से पूछा “अरे सुनो उस आदमी को सब लोग इतना सन्मान क्यों दे रहे है |
लड़का : वो एक सेनापति है इसलिए सब लोग उसका आदर कर रहे है |
मूर्तिकार सोच में पड़ जाता है और सोचता है | क्या सेनापति इतना महान होता है क्या उसका नाम लेने पर भी लोग उसका आदर कर रहे है | काश में भी एक सेनापति होता तो बड़ा अच्छा होता | मूर्तिकार की बाते परी को पता चल गयी और उसने अपनी छड़ी घुमाकर और मूर्तिकार को एक सेनापति बना दिया |
सेनापति बनने के बाद मूर्तिकार सैनिको के व्यायम करने के समय पर वहा जाता है और वह उनके साथ व्यायाम करने लग जाता है | कुछ समय बाद उसने देखा की कुछ सैनिक कुछ आदर के साथ किसी से बात कर रहे है | उसने एक सिपाई से पूछा
कौन हे वह जो सब लोग उसने आदर से बात कर रहे है |
सिपाई : अरे वो मंत्री जी है वो हमारा निरिक्षण करते है |
मूर्तिकार ने सोचा यह तो बड़ा अच्छा है काश में भी एक मंत्री होता | मूर्तिकार की यह बात परी ने सुनी और उसने फिर से अपनी जादू की छड़ी घुमाई और मूर्तिकार मंत्री बन गया | मंत्री बनने के बाद मूर्तिकार को बाड़ा सन्मान मिला | जो भी उसको देखता था उसको सलाम करता था | सबका इतना आदर पाकर मंत्री बना हुवा मूर्तिकार बहुत खुश था |
जब वह राजमहल में गया तो उसने देखा की अचानक राजदरबार में सारे लोग खड़े हो गए | कुछ समय बाद राजा राजदरबार में आये और सब लोग राजा की जयजयकार करने लगे | मंत्री बना हुवा मूर्तिकार मन ही मन सोचता है | राजा का पद तो मंत्री से भी बड़ा है और सब लोग मंत्री से ज्यादा इसका आदर कर रहे है | काश में भी एक राजा होता |
मूर्तिकार की यह बात परी को पता चल गयी और फिर उसने मूर्तिकार को राजा बना दिया | राजा बनकर मूर्तिकार को बहुत ख़ुशी हो गयी | उसको लोगो से आदर मिलने लगा उसकी जयजयकार करने लगे | एक दिन एक साधू राजदरबार में आते है | राजदरबार के सब लोग उसके सन्मान में खड़े हो जाते है | और राजा को भी उसके सामने शीश झुकना पड़ता है यह देखकर मूर्तिकार ने सोचा यह साधु तो बड़ा महान है खुद राजा भी उसके सामने माथा झुका रहा है | काश में भी एक साधु होता |
उसके ऐसा सोचते ही वह एक साधु बन गया | जैसे हर कोही साधु का आदर करता है उसी तरह सब लोग उसका भी आदर करने लगे | कुछ दिन वह साधु बनकर और लोगो का सन्मान पाकर बिताये | एक दिन साधु बना मूर्तिकार जब ध्यान में मग्न था | उसके चहरे पर बहुत धुप पड़ने लगी और उसने कहा
कितनी तेज धुप है इसमें तो इंसान जल ही जायेगा | ऐसा कहकर मूर्तिकार बना साधु अपने चारो तरफ देखने लगा की किस तरह लोग धुप से बचने की कोशिश कर रहे है | उसे लगा की यह सूरज जो बहुत शक्तिशाली है | काश में भी सूरज की तरह शक्तिशाली होता | मूर्तिकार की परी उसके आस पास ही थी फिर क्या था मूर्तिकार बन गया सूरज |
सूरज बनकर मूर्तिकार को बहुत अच्छा लग रहा था | उसने कहा
यहाँ से तो नजारा बहुत खूबसूरत है और लोग चीटियों की तरह नजर आ रहे है, अब में इन्हे मजा चखाता हु
और सूरज बने मूर्तिकार ने अपनी रोशनी तेज करदी और निचे लोग धुप से काफी परेशांन होने लग गए | अचानक एक बादल सूरज बने मूर्तिकार के सामने आ गया | वह सोचने लगा की यह बादल तो मेरे किरणों को रोक रहा है | क्या यह मुझसे भी ताकतवर है | मूर्तिकार सोच में पड़ कहा और कहने लगा काश में भी एक बदल होता तो में सूरज के किरणों को भी रोक सकता था |
परी ने यह बात भी सुनी और मूर्तिकार को बदल बना दिया | बादल बनकर मूर्तिकार आसमान में इधर-उधर घूम रहा था | कुछ देर बाद हवा का झोका आया और उसे उड़ाकर कही और लेकर गया | बादल बना हुवा मूर्तिकार सोचने लगा यह हवा तो बदल से भी ताकतवर है | इसने तो मुझे कहा से कहा पंहुचा दिया | काश में भी एक हवा होता | और क्या था फिर मूर्तिकार बन गया हवा |
हवा बनकर मूर्तिकार बड़ा ही हल्का महसूस कर रहा था और खुश था | वह कहने लगा
हवा बनने में तो बहुत मजा आ रहा है | जहा चाहिए वहा जावो कोही रोक नहीं सकता है | ऐसा सोचकर वह उड़ रहा था फिर अचानक वह टकरा गया | उसने देखा की वह एक पहाड़ से टकरा गया है | पहाड़ ने उसे अपना रास्ता रोकने पर मजबूर कर दिया यह तो सबसे ताकतवर है | ऐसा सोचते हुए उसने कहा की काश में भी इस पहाड़ जैसा मजबूत होता |
अब क्या मूर्तिकार एक पहाड़ बन गया | पहाड़ बनकर उसको बहुत अच्छा लग रहा था | कुछ दिन बित गए मूर्तिकार अभी भी पहाड़ बना हुवा था | एक दिन कुछ लोग उस पहाड़ के पास आये और धीरे-धीरे पहाड़ से पत्थर निकालकर मुर्तिया बनाने लगे वो लोग एक मूर्तिकार थे | यह देखकर पहाड़ बने मूर्तिकार ने कहा
यह लोग कितनी सुंदर मुर्तिया बना रहे है | काश में भी एक मूर्तिकार होता फिर क्या हुवा मूर्तिकार फिर एक बार मूर्तिकार बन गया |
शिक्षा : कही बार हम हमारे महत्त्व को नहीं समझते है और हमेशा दुसरो की खुबिया देखते है व्यस्त होकर हम हमारे अंदर की खुबिया भूल जाते है |