जादुई झरने की कहानी | यह एक पुराने ज़माने की बात है | यमन देश में एक रियासत हुवा करती थी | जिसका नाम विजयनगर था | विजयनगर देश पूरी तरह जंगलो से घिरा हुवा था | जिसमे बहुत प्रकार के जंगली जानवर रहा करते थे | और इसी जंगल में विविध प्रकार की जड़ी बूटियां और औषधि से युक्त पेड़ पौधे भी हुवा करते थे | जिनकी खोज में वैध और साधु अक्सर जंगलो में जाया करते थे |
एक बार विजयनगर का राजवैध अपने राजा के लिए कुछ नयी औषधि बनाने के लिए जंगल में जड़ी बूटी के खोज में भटक रहा था | तब उसने अचानक देखा की घने पेड़ो के पीछे से विचित्र रोशनी आ रही है | और तरह-तरह की आवाजे भी आ रही है | वह धीरे-धीरे उस पेड़ो के पास गया और उसने चुपके से देखने की कोशिश की तब पेड़ के उस पार क्या हो रहा है |
उसने देखा की वहा पर बहुत ही खूबसूरत झरना है | जिसका पानी गुलाबी रंग का है और परीलोक से आयी परियां उस झरने में नहा रही है | वह बड़ा ही खूबसूरत नजारा था | वैध ने इतनी खूबसूरत पंखो वाली परियों को कभी नहीं देखा था | धीरे-धीरे अँधेरा होने लगा और एक-एक करके सभी परियां वापस परीलोक को चली गयी |
राजवैध ने सोचा क्यों ना में भी इस झरने में नहा लेता हु और उसके बाद घर वापस जाता हु | लेकिन बुढ़ापे के कारन उसके शरीर पर बहुत ज्यादा थकान और दर्द था फिर भी उसने झरने के पानी को अपने शरीर पर डालना शुरू कर दिया |
वह जितना उस झरने का पानी अपने शरीर पर डालता था उतना ही उसका शरीर ठीक हो रहा था | धीरे-धीरे उसने जितना पानी अपने शरीर पर डाला उतना ही उसकी उम्र कम हो गयी | साठ साल का राजवैध अब तिस साल का जवान हो गया था | लेकिन वह खुद को देख नहीं सकता था इसलिए उसको यह बात पता ही नहीं थी | लेकिन वह अपने आप को बलवान महसूस कर रहा था |
कुछ समय बाद वह घर की तरफ निकल पड़ा | जब वह घर पंहुचा तो राजवैध के पत्नी ने उसे पहचानने से इन्कार कर दिया और कहा “तुम कौन हो और इस तरह बिना इजाजत के क्यों चले आ रहे हो | राजवैध घर पर नहीं है इसलिए सुबह आ जाना |
राजवैध बड़ा परेशांन हो गया और पाने पत्नी से कहा “यह तुम क्या कह रही हो, क्या तुम मुझे नहीं पहचानती में तुम्हारा पति हु क्या सुबह से रात तक में इतना बदल गया की तुम मुझे पहचान ही नहीं पा रही हो” |
पति की आवाज सुनकर उसकी पत्नी सुलोचना बड़ी हैरान हो गयी | क्योकि आवाज तो उसके पति की थी लेकिन शरीर तो किसी जवान का था | सुलोचना बोली
सुलोचना : आवाज तो मेरे पति की ही है तुम यहाँ रुको में तुम्हे आईना दिखा देती हु |
सुलोचना दौड़ते हुए घर से आईना लेकर आ गयी और राजवैध के सामने आईना रख दिया | अपनी सूरत आईने में देखकर वह भी परेशांन हो गया | लेकिन बुद्धिमान राजवैध की बुद्धि ने काम किया और वह समझ गया की यह सब उस गुलाबी झरने के पानी का ही कमाल है |
अगले दिन राजवैध अपने पत्नी को लेकर वहा गया और उसने अपने पत्नी को अपने जैसा ही बना दिया | अब राजवैध को बड़ा रहस्य पता चल गया था और उसे यह बात भी पता चल गयी की परियां क्यों कभी बड़ी नहीं होती है और हमेशा खूबसूरत होती है | लोग जब राजवैध को पूछने लगे की तुम दोनों इतने जवान कैसे हो गए तो दोनों मिलकर कही तरह के बहाने बना देते थे |
धीरे-धीरे लोगो को उनपर संदेह होने लगा और उन्होंने इसकी शिकायत राजा से कर दी | राजा ने राजवैध और सुलोचना को दरबार में हाजिर होने का आदेश दिया | सुबह होते ही दोनों दरबार में हाजिर हो गए |
राजा ने पूछा
राजा : कौन हो तुम दोनों तुमने राजवैध और उसके पत्नी के साथ क्या किया आखिर वह दोनों कहा है | और तुम दोनों का उनसे क्या संबंध है, यदि तुम दोनों ने पांच मिनट के अंदर मेरे सभी सवालों का जवाब नहीं दिया तो में तुम दोनों को मृत्युदंड दूंगा |
राजवैध : महाराज दया कीजिये न्याय कीजिए मुझे पहचाने में ही आपका राजवैध हु और यह मेरी पत्नी सुलोचना है |
राजा : सच में राजवैध जी यह तो आप की ही आवाज है | आपका इस तरह से बूढ़े का जवान होने का क्या रहस्य है |
राजवैध ने अपने साथ हुयी सारी बात बताई लेकिन राजा को यकींन नहीं हुवा और राजा ने तुरंत अपने सैनिको को कहा की वह उस झरने तक जाने का प्रबंध करे और राजा राजवैध और सुलोचना को लेकर झरने की तरफ जंगल में निकल पड़ा | जब राजवैध वहा पंहुचा तो उसने देखा की वहा से झरना गायब हो गया था | हर तरफ बड़े-बड़े पहाड और पेड़ है | राजा को विश्वास हो गया की वह दोनों झूट बोल रहे है | राजा को लगा की उन्होंने जरूर राजवैध के साथ बुरा किया है |
राजवैध के झूट पर राजा को बहुत गुस्सा आ गया और कहा की आप लोग उस झरने के पास ही अपना जीवन बितावो और गांव आने के लिए हमेशा के लिए मना कर दिया | उन दोनों को वही छोड़कर राजा विजयनगर वापस चला गया | सुलोचना और राजवैध दोनों उस झरने के पास रोने लगे और परियों दे माफ़ी मांगने लगे | क्यों की उन दोनों को समझ में आ गया था की उन्होंने जादुई झरने के बारे में सबको बताकर एक बड़ी गलती की है |
उनके मन में प्रायचित्त की भावना आते ही उनको कुछ दूर पर बहता हुवा गुलाबी झरना दिखाई देता है | दोनों ने हात जोड़कर परियों से माफ़ी मांगी और कहा
हम दोनों ने इस जादुई झरने के बारे में राजा को बताकर बहुत बड़ी गलती की है हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था हमें माफ़ कीजिये और पहले जैसे थे हमें वैसा ही बना दीजिए हम इस गुलाबी झरने का राज किसी को नहीं बताएंगे |
तब अचानक एक आकाशवाणी हुयी “तुमने अपने गलती को मान लिया इसलिए हम तुम्हे माफ़ करते है | आजतक जो भी हुवा तुम वो भूल जावोगे और फिर से इस झरने में नहा कर फिर से पहले जैसे हो जावोगे और उसके बाद गांव वापस लौट जाना | गांव जाने के बाद तुमको और गांववालों को आजतक जो भी हुआ सब भूल जाएंगे |
राजवैध ने परियों को धन्यवाद कहा और आकाशवाणी ने जैसा कहा वैसा ही किया और गांव चले गए | अगले दिन सुबह सब कुछ पहले जैसा ही था | राजवैध पुराना राजवैध बन चूका था | सुलोचना भी पहले की तरह ही थी और गांववालों को भी कुछ याद नहीं था | सब कुछ पहले की तरह हो गया |