राजकुमारऔर परी की कहानी
एक समय की बात है | उदयपुर नगर में एक राजा था | राजा अपने रानी से बहुत प्यार करता था | लेकिन राजा को सबसे बड़ा दुःख था की उनकी कोही संतान नहीं थी | एक बार राजा के महल में एक बहुत सिद्ध पुरुष आये | राजा ने जब उनसे कहा की हमारी कोही संतान नहीं है | तब सिद्ध पुरुष ने कहा इसका सिर्फ एक उपाय है | आपको रानी के साथ सात कुवे खुदवाने पड़ेगे, जब सातवा कुवा खुदेगा तब उसमे से एक परी निकलेगी, अगर वो तुमसे प्रसन्न हो जाएगी तभी कुछ हो सकता है |
राजा को यह पता चलते ही उन्होंने दूसरे दिन ही रानी को साथ लेकर कुवे की खुदाई शुरू करावा दी | सातवा कुवा खुदवाने की बारी आयी तब रानी बहुत ही खुश थी | उनको लग रहा था की उनकी इच्छा अब पूरी हो जाएगी | जिस दिन सातवे कुवे के खुदाई का काम पूरा हुवा जमींन से तेज पानी की धार निकली और ऊपर तक आ गयी | रानी पूरी तरह से भीग गयी | तभी कुवे के अंदर | तभी कुवे के अंदर से आवाज आयी मुझे बाहर निकालो | आवाज सबको सुनाई पड़ी |
राजा ने अंदर रस्सी के साथ एक कुर्सी भी डलवाई | जब उसको खींचा जा रह था तब ही बहोत भारी थी और सबने देखा उसमे से एक परी निकली | उसके हाथ में एक छोटा बच्चा और बहोत सारे हीरे मोती थे | उसने बच्चा रानी के गोद में दाल दिया और कहा “में तुम दोनों से बहोत प्रसन्न हु, तुमने इतने कुवा खुदवाकर अच्छा काम किया है, आज से ये बच्चा तुम्हारा है |
यह सारे रत्न गरीबो में बाँट दो | ये कहकर परी आसमान में उड़ गयी | रानी बच्चे को पाकर बहोत खुश हुई और महल में चली गयी | उसने बच्चे का नाम अंशुमान रखा | वे सभी गुणों से पूर्ण था | राजा रानी का जीवन बिलकुल बदल गया | उन्होंने उसका अच्छी तरह से पालन पोषण किया | राजकुमार धीरे-धीरे बड़ा होने लगा | राजकुमार जब २२ साल का हो गया, तब राजा ने राजकुमार को बुलाया और कहा “तुम अपना वेश बदलकर घोड़े पर सवार होकर दूसरे देशो में जावो | किसी को मालूम नहीं पड़ना चाहिए, की तुम राजकुमार हो” |
राजा ने राजकुमार को सोने की मुद्रावो से भरी थैली दी और कहा “इन मुद्रावो को दुगुना करके ही वापस आना” | तभी तुम इस राजगद्दी के अधिकारी बनोगे | लेकिन ये मुद्राये, ईमानदारी से दुगनी होनी चाहिए | राजकुमार ,अंशुमान अपनी माँ के पास गया और उनसे आशीर्वाद लिया राजकुमार अंशुमान ने शिकारी का वेश धारण किया |
बहुत दूर जाने के बाद वह एक जंगल में गया और एक हिरणी का पीछा करते-करते घने जंगलो में पहुँच गया | हिरणी को मारने केलिए जैसे ही तीर निकला वह हिरणी खड़ी हो गयी, उसने राजकुमार के तरफ याचना भरी नजरो से देखा और बोली “राजकुमार मुझे मारकर तुमको क्या मिलेगा? मुझे छोड़ो, मेरे बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे” राजकुमार को तो पहले उसके बोलने पर ही हुवा, फिर उसको उस पर दया आ गयी |
उसने अपना तिर वापस रख लिया | तिर वापस रखते ही उसे अपनी मुद्रावो की थैली कुछ भरी लगने लगी | जब राजकुमार ने उसे खोलकर देखा, तो मुद्राये दुगनी हो गयी और थैली भी बढ़ गयी थी | हिरणी कुलचे भरते हुए जंगल में चली गयी | वह थोड़ी ही दूर गया होगा उसने देखा हिरणी अपने बच्चो को दूध पीला रही थी |
राजकुमार आगे बढ़ गया और इसी सोच में डूबा था की किसी जानवर को मारना आसान नहीं है | सभी का परिवार होगा | ये सोचते सोचते वे जंगल में बहोत दूर चला गया और रास्ता भटक गया, घने जंगलो के बीच एक पहाड़ी पर उसे एक पुराणी इमारत दिखाई पड़ी और वह उधर ही चला गया |
वह जैसे ही दरवाजे पर पहुंचा, दरवाजा अपने आप खुल गया, जब वह अंदर गया उसने देखा एक बूढी औरत एक पलंग पर बैठी हुए थी | उसके बाल सफ़ेद थे और उसके बगल में एक सफ़ेद रंग का कुत्ता बैठा हुआ था | राजकुमार ने बूढी का विवादन किया और बोला “दादी मुझे एक रात की सोने केलिए जगह मिल जाएगी क्या? बूढी औरत की नजर जैसे ही राजकुमार पर पढ़ी, उसकी आँखों में ख़ुशी की लहार दौड़ गयी | बूढी औरत बोली “हा हा क्यू नही, जब तक जी चाहे तब तक रहो, में तो अकेले ही रहती हु” |
यह कहकर बूढी औरत जैसे उसके लिये पानी लेने गयी, सफ़ेद रंग कुत्ता तुरंत राजकुमार के पास गया और बोला “राजकुमार ये एक जादूगरनी है, जो इंसान को पंछी, बिल्ली, कुत्ते के रूप में बदल देती है, उस कोने में पड़ा रेशमी रुमाल उठाकर देखो कोनेवाले कमरे में बहोत सारे पंछि और जानवर है | उनके ऊपर लहरा दो, सब अपने असली रूप में आ जायेंगे, जब तक रुमाल तुम्हारे हाथ में ही रहेगा, वह तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ पायेगी | राजकुमार ने बिना समय गवाए वही किया, जैसे कुत्ते ने बताया था | और सब आजाद होकर इंसानो में बदल गए |
जैसे ही जादूगरनी कोई एहसास हुआ की अब उसका रास खुल गया है, वह बाहर की तरफ भागी | राजकुमार ने उसको पकड़ लिया | पर राजकुमार का स्पर्श होते ही अचानक बिजली कड़क गयी और परी के रूप में बदल गयी | उसके पंख गुलाबी थे, वह राजकुमार के पास आयी और राजकुमार का हाथ पकड़कर बोली “राजकुमार तुम कौन हो? में परियो के देश से आयी थी और अपनी एक गलती का दंड भोग रही थी, मुझे परियो की रानी ने कहा था जब कोई परियो का शहजादा तुम्हे स्पर्श करेगा तभी तुम शाप मुक्त हो पावोगी, तुम मुझे माफ़ करना अब में परीलोक जा रही हु, और हा तुम्हे कभी भी मेरा जरूरत हो तो तीन बार ताली बजाना, में आउंगी |
इतने में पारी ने तीन बार ताली बजायी, एक वूडन खटोला आया, वो गुलाबी पंखोंवाली परी उसमे बैठकर चाली गयी | राजकुमार ने जिन-जिन को आजाद किया था, उन्ही में से एक को अपना घोडा देकर अपने राजमहल भेज दिया और उनके वहा से निकलने की व्यवस्था करने की खबर राजा तक भिजवा दी | दूसरे दिन राजा ने भारी तादात में हाती घोड़े भेजे | सब राजा के महल वापस आ गये राजकुमार अंशुमान ने राजा को मुद्रावो से भरी थैली वापस कर दी | जो की हिरणी को जीवनदान देते ही दुगनी हो गयी थी, बाकी सब लोग वहा से अपने-अपने घर चले गए | राजकुमार के आंखो में भरी परी बस गयी थी |
एक दिन राजकुमार महल की चाट पर उदास बैठा था | चांदनी रत थी, तभी उसको गुलाबी परी की बात यद् आयी | उसने तीन बार ताली बजायी और वुडन खटोली पर सवार होकर गुलाबी परी हाजिर हो गयी | राजकुमार ने उसे देखते ही शादी केलिए प्रस्ताव रखा, ये सुनकर वह उदास हो गयी और कहा “राजकुमार में कितने समय से शापित जीवन बिता रही थी | आपके वजह से ही मुझे उस घिनौने शाप से मुक्ति मिली, में आपको पसंद हु पर में एक शर्त पर आपसे शादी कर पावुंगी, आप मेरी परीलोक जाने पर कोई रोक टोक नहीं करेंगे” |
राजकुमार अंशुमान तुरंत मान गया गुलाबी परी पूर्णिमा के दिन आने का वचन देकर चली गयी | राजकुमार ने जब राजा और रानी को ये बताया तो वे सब बहोत खुश हुए | कुछ दिनों बाद पौर्णिमा के दिन गुलाबी परी, रानी परी और बहोत से पारीयो के साथ आयी | उसी दिन राजा ने राजकुमार अंशुमान का राज्याभिषेक भी किया और उन दोनों का विवाह भी कर दिया | रानी परी और बाकि परीयां नव दम्पति को आशीर्वाद देकर वापस परीलोक चले गये | सब सुखपूर्वक रहने लगे | गुलाबी परी को जब भी परीलोक जाना होता, राजकुमार उसे कभी नहीं रोकता था |