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परीयो की कहानी | Pariyon Ki Kahani | Hindi Kahaniya

परीयो की कहानी एक बबलू नाम का लड़का रामपुर नाम के छोटे से गांव में अपने पिता और सौतेली माँ के साथ रहता था | उसका एक सौतेला भाई भी था | जिसका नाम तुषार था | उसकी सौतेली माँ हमेशा दोनों भाइयों में भेदभाव करती थी | वह अपने बेटे को प्यार करती थी और बबलू को हमेशा डराती रहती थी | उसके पिता उसके सौतेली माँ को कुछ भी नहीं कह पाते थे और उनसे डरते थे | एक दिन सुबह सुबह उसकी सौतेली माँ ने तुषार से कहा “आज हमें शादी में जाना है, जल्दी करो वरना हमें देर हो जायेंगी”, तब तुषार ने कहा “जी ठीक है माँ मै अभी तैयार होकर आता हु” |

यह बात बबलू ने सुनी और कहा “शादी में, अरे वा… माँ मुझे भी आपके साथ चलना है” | तब उसके सौतेली माँ ने कहा “नहीं बबलू तुम हमारे साथ नहीं जाओगे, घर पर कौन रहेगा, इतना सारा काम पड़ा है उसको कौन करेगा” | यह सब सुनने के बाद बबलू उदास हो जाता है | उसके पिताजी बबलू को शादी में ले जाना चाहते थे लेकिन उनकी उसके सौतेली माँ के सामने एक भी नहीं चलती थी |

थोड़ी ही देर में सब लोग तैयार होकर शादी में चले जाते है और बबलू अकेला घर रह जाता है | बबलू घर से उदास होकर बाहर आता है | उसके घर के पास एक छोटा सा तालाब बहता था | वह उस तालाब के किनारे आकर बैठ जाता है | तभी वहा से एक सुनहरी परी गुजरती है और बबलू को वहा उदास बैठा देखकर उसके पास आकर उससे पूछती है “अरे प्यारे बच्चे कौंन हो तुम और इस तालाब के किनारे अकेले क्यों बैठे हो” | बबलू पहले तो डर जाता है और पूछता है “आप कौन हो” | तब परी कहती है “मै सुनहरी परी हु, मुझे बताओ तुमें क्या परेशानी है ‘तुम इतने प्यारे बच्चे हो में तुम्हे परेशान देखकर खुद परेशान हो गयी हु” |

बबलू सुनहरी परी को उसके साथ जो हुवा वह बता देता है | बबलू की बाते सुनकर सुनहरी परी को बहुत बुरा लगता है और उसके सौतेली माँ पर गुस्सा भी आ जाता है | परी बबलू से कहती है “चलो में तुम्हे शादी में ले चलती हु” | बबलू कहता है “अरे नहीं अब तो उन लोगो के लौटने का समय हो गया है” में तो इसलिए परेशान हु की मैंने घर का कोही काम नहीं किया, पूरा काम ऐसे ही पड़ा है और इतने जल्दी में सारा काम में नहीं कर सकता” |

सुनहरी परी कहती है “अच्छा तो ये बात है” तब वह परी उसे जादू की छड़ी देती है और कहती है “यह लो बबलू इस छड़ी को तुम अपने पास रख लो, तुम इस छड़ी को जो काम करने को कहोगे छड़ी तुरंत वो सारा काम कर देगी” | बबलू कहता है “सच में” | तब परी हसते हुए कहती है “हा हा सच में” |

छड़ी तुषार को देकर सुनहरी परी वहा से चली जाती है | घर आकर बबलू सारे काम जादुई छड़ी की मदत से जल्दी कर लेता है | तोड़ी ही देर में सारे लोग शादी से वापस लौटते है | घर आते ही उसकी सौतेली माँ आवाज देती है “बबलू कहा है, अभी तक सो रहा है, कोही काम नहीं किया क्या” तब बबलू ने कहा जी माँ सारा काम कर लिया” |

सौतेली माँ सारा काम देखकर आश्चर्यचकित हो जाती है | वह सोचती है की जरूर इसके साथ मिलकर किसीने घर का सारा काम किया है, अकेला बबलू सारा काम इतने जल्दी कर ही नहीं सकता है |

अगले दिन उसकी सौतेली माँ कहती है “बबलू में बाहर जा रही हु सारा काम कर लेना, जबतक में वापस लौटू सारा काम हो जाना चाहिए” | बबलू कहता है, ठीक है माँ मै सारा काम कर लूंगा | सौतेली माँ छुपके से देखती है की बबलू की मदत कौन कर रहा है | बबलू अपनी जादुई छड़ी निकालता है और जादुई छड़ी से सारे काम कर लेता है | यह देखकर उसकी सौतेली माँ चैाक जाती है |

रात को बबलू जब सो जाता है तब उसकी सौतेली माँ उसकी जादुई छड़ी चुरा लेती है | सुबह बबलू उस छड़ी को ढूंढता है और ना मिलने पर उसी तालाब के किनारे जाकर फिर उदास होकर बैठ जाता है, और रोने लगता है | सुनहरी परी फिर वहा आती है और रोने का कारन पूछती है | बबलू उसे छड़ी के बारे में बता देता है | सुनहरी परी बबलू को घर वापस जाने को बोलती है और कहती है कल तुम्हारी सौतेली माँ तुम्हे फिर से छड़ी लौटा देगी | बबलू घर वापस आ जाता है |

बबलू की सौतेली माँ जैसे ही जादुई छड़ी को काम करने को कहती है वह जादुई छड़ी सौतेली माँ को पिटाई करना शुरू कर देती है | फिर जादुई छड़ी से आवाज आती है “तुम मुझे बबलू को देकर आवो वरना में तुम्हारी ऐसेही पिटाई करती रहूंगी, और बबलू और तुषार में भेदभाव करना बंद करो” | अगले दिन उसकी सौतेली माँ बबलू से कहती है “बबलू बेटा “यह लो तुम्हारी छड़ी और मुझे माफ़ करो, अब मै तुम्हे कभी परेशान नहीं करुँगी, तुम्हे भी में अपने बेटे तुषार की तरह प्यार करुँगी, में तुम्हारे साथ बहुत गलत करती थी, मुझे माफ़ करदो बेटे” |

तब बबलू अपने सौतेली माँ से कहता है “नहीं माँ आप बड़े हो और बड़े लोग माफ़ी नहीं मांगते” ऐसा कहते ही उसकी सौतेली माँ चीकू को गले से लगा लेती है | बबलू अपने जादू की छड़ी और अपने परिवार को पाकर बहुत खुश होता है |

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